Balance - Sheet ?

 What is Balance sheet ?


बैलेंस शीट एक प्रकार का स्टेटमेंट है जो हर एक कंपनी को साल के अंत में बनाना होता है। इस से हमें यह पता चलता है कि कंपनी के पास अपनी खुद की कितनी संपत्ति है और कितने दायत्व हैं। बैलेंस शीट बनाने का मुख्य उद्देश्य इससे हमें अपने बिजनेस की स्थिति का पता चलता है। बैलेंस शीट को हर एक कंपनी को इसलिए बनाना भी जरूरी है क्योंकि प्रत्येक वर्ष के अंत में हर एक कंपनी या किसी बिजनेस को अपनी बैलेंस शीट का पूरा स्टेटमेंट सरकार को दिखाना पड़ता है। जिसके आधार पर सरकार इस स्टेटमेंट को कानूनी मानते हुए उस पर टैक्स लगाती है। और यदि कोई कंपनी या संस्था जोकि धन कमाने के उद्देश्य से स्थापित हुई हो अगर अपना वार्षिक स्टेटमेंट बैलेंस शीट को प्रदर्शित नहीं करती है तो सरकार उस कंपनी पर एक्शन ले सकती है।


बैलेंस शीट एक स्टेटमेंट है जिस के दोनों साइड बराबर होते हैं लेफ्ट साइड में हमारे लायबिलिटी दायित्व आते हैं और वही राइट साइड में हमारी कंपनी की संपत्तियां आती हैं।

दायित्व और संपत्तियों को पराया दो भागों में बांटा गया है जो कि इस प्रकार से हैं -:


Assets (संपत्तियां) -: 


Tangible Assets -:

संपत्तियों को पराया दो भागों में बांटा गया है। पहली Tangible assets  होती हैं जिनको हम देख सकते हैं और छू सकते हैं।

 वहीं दूसरी तरफ intangible असेट्स होती हैं जिनको हम ना तो देख सकते हैं और ना ही छू सकते हैं उसको केवल महसूस ही किया जा सकता है।

Current aur Non current Assets,  Tangible assets के अंतर्गत आती हैं।

Current assets -:

Non - current assets -:

Current assets _यह ऐसी संपत्तियां हैं जिनको हम 1 वर्ष के भीतर ही Cash में बदल सकते हैं।

Example -: 

Cash, Cash at bank, Debtors, Bills Receivable, Short-Term investment, Gold or Stock.


Non- Current Assets -:

यह ऐसी संपत्तियों होती हैं जिनको हम लंबे समय के लिए उपयोग में लाते हैं और ये कीमत में भी बहुत महंगी होती हैं

For example -:

Land & Building, Plant & Machinary, Furniture 


InTangible Assets-:

इनटेंजिबल असेट्स का उदाहरण गुडविल है गुडविल एक ऐसी ख्याति है जिससे हमारी कंपनी के किसी भी ब्रांड की वैल्यू मार्केट में ज्यादा बनती है जैसे एडिडास का ब्रांड, नायकी का ब्रांड, Puma का ब्रांड यह सभी ब्रांड गुडविल हैं। वहीं दूसरी तरफ पेटेंट और कॉपीराइट्स भी गुडविल के ही उदाहरण हैं।




Liabilities -:

इसके अंतर्गत कंपनी के सभी दायित्व आते हैं अर्थात इसमें कंपनी उन सभी दायित्वों का लेखा-जोखा करती है जो हमने किसी से उधार में लिए हो और हमें उन्हें दायित्व दायित्व को वापस करना होता है। लायबिलिटी भी दो प्रकार की होती है। एक इंटरनल लायबिलिटी और दूसरी एक्सटर्नल लायबिलिटी।

इंटरनल लायबिलिटी वह लायबिलिटी होती है। जिसमें व्यवसाय को अपने मालिक के प्रति जो पूंजी लगाई होती है। उसको वापस करना होता है अर्थात इसमें इसके अंतर्गत सभी दायित्व मालिक के लिए तय किए जाते हैं।

वहीं दूसरी तरफ एक्सटर्नल लायबिलिटी वह लायबिलिटी होती है जिस जिसके अंतर्गत मालिक को छोड़कर हमें बाकी सभी दूसरे व्यक्तियों को अपने दायित्वों को वापस करना होता है यह दायित्व भी दो प्रकार के होते हैं करंट लायबिलिटी और नॉन करंट लायबिलिटी।

 करंट लायबिलिटी के अंतर्गत उन दायित्वों को शामिल किया जाता है जिन्हें हमें 1 वर्ष के अंतर्गत ही तय करना होता है या चुकाने पड़ते हैं।

दूसरी तरफ नॉन करंट लायबिलिटी वह दायित्व होते हैं जो हमें 1 वर्ष से अधिक या काफी लंबे समय बाद चुकाने होते हैं जैसे कि बैंक लोन , बैंक ओवर ड्राफ्ट etc.

 

                             (Balance Sheet's Format)

       

       




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